राम बिना मेरी सूनी अयोध्या, लक्ष्मण बिना ठकुराइ,
सीता बिना मेरी सूनी रसोई, महल उदासी छाई”
श्रीराम कथा महोत्सव के सप्तम दिवस पर छलका करुण रस,
केवट की भक्ति, निषादराज की मित्रता और भरत का त्याग बने श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा

आगरा। सुभाष नगर, कमला नगर में विश्व सनातन ट्रस्ट द्वारा आयोजित 9 दिवसीय श्रीराम कथा महोत्सव के सप्तम दिवस की शुरुआत कथा व्यास पं. भरत उपाध्याय ने भक्ति और विरह से ओतप्रोत उपरोक्त भजन की पंक्तियों के साथ की। करुण रस से भरे इन प्रसंगों ने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। वातावरण में राम नाम की अनुगूंज और आंसुओं से भीगी आंखों ने कथा को जीवंत बना दिया।
कथा व्यास ने गंगा तट पर हुए केवट प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि सच्चा भक्त प्रभु से कुछ मांगता नहीं, बल्कि उनकी सेवा का अवसर चाहता है। इसके बाद निषादराज गुह की भक्ति और मित्रता का प्रसंग सुनाया गया, जिसने यह संदेश दिया कि सच्ची मित्रता जाति और कुल से नहीं बल्कि प्रेम और विश्वास से होती है।
कथा के दौरान राजा दशरथ के वियोग का हृदयस्पर्शी चित्रण हुआ। श्रीराम के वियोग में महाराज दशरथ ने अंततः प्राण त्याग दिए। अयोध्या वासी भी प्रभु के बिछोह में व्याकुल हो उठे। भरत और श्रीराम के संवाद का वर्णन करते हुए कथा व्यास ने बताया कि भरत ने सिंहासन पर स्वयं न बैठकर प्रभु श्रीराम की खड़ाऊं को राजसिंहासन पर स्थापित कर मर्यादा और त्याग का सर्वोच्च आदर्श प्रस्तुत किया।
संस्था के संस्थापक एवं मुख्य यजमान आकाश शर्मा और रेखा शर्मा ने कहा कि इन प्रसंगों से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जीवन में धर्म, कर्तव्य और त्याग ही सबसे बड़े आदर्श हैं। समाज की समरसता और परिवार की एकता इन्हीं मूल्यों से सुदृढ़ होती है।
इस अवसर पर महंत गोपी गुरु (श्री लंगड़े हनुमत धाम, लंगड़े की चौकी), ऋषि कुमार, कमलेश शर्मा, गीतांजलि, चेताली शर्मा, दिव्या, अनिल सिंघल, जीतेन्द्र कुमार, वैजंती देवी, अशोक कुमार नेता जी, प्रेम वर्मा, ख्याति, माधवी, रिद्धि, अरुंधति, सम्यक शर्मा, प्रदीप मल्होत्रा आदि श्रद्धालु कथा श्रवण कर भावविभोर हो उठे।


