महिला शांति सेना द्वारा आयोजित कार्यशाला में महिलाओं को सशक्तिकरण का सही अर्थ क्या होता है ये समझाया गया

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आगरा।महिला शांति सेना द्वारा संत राम कृष्ण कन्या महाविद्यालय में आयोजित कार्यशाला में महिलाओं को सशक्तिकरण का सही अर्थ क्या होता है ये समझाया गया कि सशक्तिकरण का अर्थ है अपने दिमाग को मजबूत रखकर अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते जाना, न कि ये सोचना कि हमें सब अधिकार मिले हैं इसलिए हम सही की जगह जो चाहे वो कर सकते हैं।

 

सर्वप्रथम विद्यालय की प्रधानाचार्या डॉक्टर मोहिनी तिवारी द्वारा सभी गणमान्य अतिथियों को पटका पहनाकर कर उनका स्वागत व अभिनन्दन किया गया।

तत्पश्चात् मुख्य वक्ता श्रीमती विधु दत्ता ने संगोष्ठी का प्रारम्भ करते हुए छात्राओं को सशक्तिकरण का अर्थ समझाया गया तथा छात्राओं को उन्होंने बताया कि सेल्फ केयर करना जरूरी है,शशक्तीकरण रंग में ख़ूबसूरती दिखने में नहीं है अपितु आपके अंदर की खूबसूरती को निखारने का प्रयास करना है ।

 

उनके बाद आर्चरी प्लेयर निधि जैन ने बताया बेलगाम घोड़ा दिशा खो देता है, लगाम वाला मंज़िल पा लेता है।

अधिकार के साथ कर्तव्य भी निभाना सशक्तिकरण है।अपनी आवाज़ उठाओ, लेकिन दूसरों की भी सुनो।

 

उनके बाद श्री मती वत्सला प्रभाकर जी द्वारा छात्राओं को बड़े स्नेहपूर्ण तरीके से समझाया गया। उन्होंने छात्राओं से कहा कि आप सब बहुत मूल्यवान हैं इसलिए आपके माता-पिता आपको इतना सम्भालकर रखते हैं। जिस प्रकार हम अपनी महंगी व कीमती वस्तुओं को अधिक सम्भालकर रखते हैं ठीक उसी प्रकार बेटियाँ भी बहुत कीमती हैं इसलिए अपनी हर बात अपने माता-पिता से बाँटिए। उन्होंने छात्राओं से कहा कि आपके पहले हितैषी आपके माता-पिता व दूसरे सबसे बड़े हितैषी आपके टीचर्स हैं इसलिए कभी कोई भी परेशानी हो तो सहेलियों की जगह अपने माता-पिता व गुरूजनों से बात करो व गलत रास्ते ले जाने वाली सहेलियों का परित्याग कर दो। उन्होने छात्राओं को सशक्तिकरण का सही अर्थ समझाते हुए बताया कि सशक्तिकरण का मतलब बस अच्छा पढ़‌ना, अच्छे कपड़े नहीं है बल्कि अपने शरीर से ज्यादा अपने दिमाग को मजबूत बनाओं ताकि कोई तुम्हें बेवकूफ न बना पाए ।

 

तत्पश्चात् श्रीमती अदिति कात्यायन ने छात्राओं को समझाया कि सशक्तिकरण का मतलब बेलगाम होकर अपनी मनमानी करना नहीं है अपितु लोगो की मदद करना ख़ुद को मिसाल बनाकर लोगो के समक्ष पेश करना है ।

कवियात्री श्रीमती श्रुती सिन्हा ने छात्राओं को बताया की महिलाओं को मिलने वाले अधिकारों का कभी भी दुरुप‌योग न करें। और एक ख़ूबसूरत कविता भी गाकर सुनाई जिससे सभी का दिल भाव विभोर हो उठा ।

 

अंत मे श्री मती शीला बहल जी ने अपनी जोरदार आवाज व स्नेहपूर्ण व्यवहार से सभी छात्राओं को ऊर्जा से भर दिया। उन्होने छात्राओं से अतिथियों द्वारा बताए गए महत्वपूर्ण बिन्दुओं के विषय में पूछा जिसमें अनेक छात्राओं ने आगे बढ़‌कर जबाब दिए । भारत माता की जय के नारे के साथ उन्होंने अपनी वाणी को आराम दिया।

मंच का संचालन डॉक्टर साधना द्वारा किया गया , अंत में विद्यालय की प्रधानाचार्य ने सबको धन्यवाद ज्ञापित किया ।

संगोष्ठी में डॉ योजना मिश्रा,अंजू पचौरी, आशा रानी, डॉ निशा कपूर, योगेश गुप्ता, मोहिनी दुबे, अर्चना गुप्ता, अनिल सिंह, अमित कुलश्रेष्ठ, डॉ पिंकी वर्मा, रामा दुबे , ललितेश आदि सभी शिक्षक-शिक्षिकाएं उपस्थित रहीं ।