ढोल-नगाड़ों संग सजी आस्था की डोर, श्रीकृष्ण की पटरानी यमुना मैया को अर्पित हुई 300 मीटर चुनरी

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ढोल-नगाड़ों संग सजी आस्था की डोर, श्रीकृष्ण की पटरानी यमुना मैया को अर्पित हुई 300 मीटर चुनरी

दुग्ध धार और दीपदान से आलोकित हुआ यमुना तट

श्रीकृष्ण लीला महोत्सव समिति ने शताब्दी वर्ष के शुभारंभ पर किया चुनरी मनोरथ उत्सव का आयोजन

25 अक्टूबर से वाटर वर्क्स स्थित गौशाला प्रांगण में होगा 300 वर्ष पुरानी परंपरा का शुभारंभ

अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने की घोषणा, हर वर्ष श्री कृष्ण लीला महोत्सव का शुभारंभ होगा यमुना मैया चुनरी मनोरथ के साथ

 

आगरा। कार्तिक मास की पावन एकादशी के अवसर पर जब श्रीकृष्ण की पटरानी यमुना मैया को 300 मीटर लंबी चुनरी अर्पित की गई, तो पूरा वातावरण “राधे-श्याम” के जयघोषों और भक्ति के स्वर से गूंज उठा। ढोल-नगाड़ों की थाप, भजन-कीर्तन की मधुर लहरियाँ और पुष्पवर्षा के बीच भक्तिरस की अविरल धारा प्रवाहित होती रही।

श्रीकृष्ण लीला महोत्सव समिति ने अपने 300 वें वर्ष की शुरुआत चुनरी मनोरथ उत्सव से की, जो इस परंपरा के इतिहास में पहली बार आयोजित हुआ।

शुक्रवार को बलकेश्वर महादेव मंदिर से प्रारंभ हुई भव्य यात्रा में सैकड़ों भक्त बैंड-बाजों और शंखध्वनि के साथ नृत्य करते, भजन गाते हुए 300 मीटर लंबी चुनरी लेकर पार्वती घाट पहुंचे। यमुना तट पर भक्तों ने श्रद्धापूर्वक चुनरी अर्पित कर श्रीकृष्ण की पटरानी को नमन किया।

इसके पश्चात् यमुना मैया का दुग्ध अभिषेक (दुग्ध धार) किया गया। भक्तों ने कलशों में दूध भरकर यमुना जल में अर्पित किया, जिससे तट पर स्निग्ध श्वेत धारा प्रवाहित होती दिखाई दी। यह दृश्य भक्तों की गहन श्रद्धा और आस्था का प्रतीक बना।

अभिषेक के उपरांत जब सैकड़ों दीपक जलाकर दीपदान किया गया, तो यमुना की लहरों पर झिलमिलाते दीप मानो भक्तों की भावनाओं को उजास में परिवर्तित कर रहे थे। पूरा तट स्वर्गिक आभा से आलोकित हो उठा।

पूजन विधि-विधानपूर्वक प्राचीन सीताराम मंदिर वजीरपुरा के महंत अनंत उपाध्याय, पंडित मुकेश शर्मा, पंकज शास्त्री, विष्णु पंडित, पंडित प्रमोद पाराशर, दुर्गेश शास्त्री द्वारा संपन्न कराया गया।

समिति अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने बताया कि श्रीकृष्ण लीला महोत्सव समिति के 100 वर्षों के इतिहास में यह पहला अवसर है जब लीला आरंभ से पूर्व चुनरी मनोरथ उत्सव, दुग्ध धार और दीपदान का आयोजन हुआ है। उन्होंने कहा कि यमुना पूजन, दुग्ध अर्पण और दीपदान श्रीकृष्ण भक्ति के ऐसे क्षण हैं जो हर भक्त के मन को दिव्यता और शांति से भर देते हैं।

उन्होंने आगे बताया कि 25 अक्टूबर से श्रीकृष्ण गौशाला, वाटर वर्क्स परिसर में शताब्दी वर्ष का श्रीकृष्ण लीला महोत्सव प्रारंभ होगा। इसके साथ ही उन्होंने हर वर्ष श्री कृष्ण लीला महोत्सव का शुभारंभ भव्य चुनरी मनोरथ उत्सव के साथ भी करने की घोषणा की।

महंत अनंत उपाध्याय ने यमुना जी के महत्व पर कहा कि यमुना केवल नदी नहीं, वे श्रीकृष्ण की पटरानी हैं। उनके जल में श्रीकृष्ण के चरणों की रज मिली है। जो यमुना का पूजन करता है, वह स्वयं व्रजभक्ति से जुड़ जाता है।

मुख्य अतिथि विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल ने आयोजन को भक्ति और संस्कृति के संगम का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह परंपरा पीढ़ियों से बृजभूमि की जीवंतता को बनाए हुए है।

व्यवस्था प्रमुख पार्षद मुरारीलाल गोयल और संयोजक गिर्राज बंसल ने आयोजन को सफल बनाने में मुख्य भूमिका निभाई।

इस अवसर पर संरक्षक डॉ. विजय किशोर बंसल, डॉ. हरेंद्र गुप्ता, योगेंद्र सिंघल, पार्षद पूजा बंसल, शेखर गोयल, संजय गर्ग, अशोक गोयल, आदर्श नंदन गुप्त, ब्रजेश अग्रवाल, विष्णु अग्रवाल, मनोज बंसल, अनूप गोयल, विनीत सिंघल, डॉ. संजीव नेहरू, निशि नेहरू, मनोज अग्रवाल, सुजाता अग्रवाल, तनु गुप्ता, हनी, सचिन, सूरज तिवारी, भोला नाथ अग्रवाल, नीरजा सिंघल आदि उपस्थित रहे।