आगरा।राजा बलवंत सिंह मैनेजमेंट टैक्नीकल कैम्पस, खंदारी फार्म, आगरा में आज दिनांक 29 नवम्बर, 2025 (शनिवार) को “प्रबंधन शिक्षा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का अनुप्रयोग” विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन समारोह में संस्थान के प्रो. (डॉ.) ए. एन. सिंड (निदेशक, अकादनिक) प्रो. (डॉ.) पायल गर्ग (निदेशक, प्रशासन एवं वित्त) रिसोर्स पर्सन रिसोर्स पर्सन प्रोफेसर बिलाल मुस्तफा खान (अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़), डॉ. के. के. शर्मा (डीन, बिजिनिस एडमिनिस्ट्रेशन), श्री वी. के. सिंह (डीन, कॉर्पोरेट रिलेशन्स) तथा सुबूर खान द्वारा माँ सरस्वती व राजा बलवंत सिंह जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन करके किया गया।
राष्ट्रीय कार्यशाला के अध्यक्ष एवं संस्थान के निदेशः प्रो. (डॉ.) ए. एन. सिंह ने कहा कि भविष्य के मैनेजरों के लिये ए.आई. संचालित कौशल अनिवार्य हो रहे हैं। एआई टूल्स में निपुणता हासिल करने से छात्रों में नेतृत्व एवं निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है और डेटा संचालित रणनीतियों को सक्षम बनाती है। सीखना छात्र जीवन का एक मूलभूत हिस्सा है. एआई के अनुप्रयोग से हम पारम्परिक शिक्षा की खामियों को दूर कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि प्रबन्धन के छात्रों में उद्यमशीलता की सोच को विकसित करने में आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस की अहम भूमिका है।
प्रो. (डॉ.) पायल गर्ग (निदेशक, प्रशासन एवं वित्त) जनरेटिव एआई प्लेटफार्म छात्रों को अनूठे व्यावसायिक मॉडल पर विचार-मंथन करने, प्रोटोटाइप डिजाइन करने में मदद करता है। यह रचनात्मक और प्रारम्भिक चरण नवाचार को गति देता है। रीयल टाइम डेटा अंतदृष्टि, रचनात्मक टूल्स का प्रयोग कर एवं सिमुलेशन आधारित शिक्षा प्रदान करके, एआई छात्रों में जटिलताओं को समझने और नवीन उद्यम आइडियाज को विकसित करने में मदद करता है। जनरेटिव एआई प्लेटफार्म छात्रों को अनूठे व्यावसायिक मॉडल पर विचार-मंथन करने, प्रोटोटाइप डिजाइन करने में मदद करता है। यह रचनात्मक और प्रारम्भिक चरण नवाचार को गति देता है।
रिसोर्स पर्सन रिसोर्स पर्सन प्रोफेसर बिलाल मुस्तफा खान (अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़) ने बताया कि नोटबुक ऐप, शिक्षक शोधकर्ताओं और छात्रों को उनके रिसर्च को व्यवस्थित करने में सहायक सिद्ध हो रहा है। इसमें वे लिटरेचर रिव्यू, शोध प्रश्न निर्धारण, इंटरव्यू नोट्स, केस विवरण और शुरूआती ड्रॉफ्ट को सुरक्षित रख सकते हैं। नोटबुक की मदद से रैकिंग, हाइलाइटिंग, दून्डू लिस्ट और क्लाउड सिंक जैसी सुविधाएँ लेखन प्रक्रिया को तेज और संगठित बनाती है। छात्र चैट जीपीटी, कोर्सेस, परसनैलिटी, नैनो बनाना, जेमिनी जैसे डिजिटल प्लेटफार्म का उपयोग करके कठिन विषय आसानी से समझ सकते हैं। ये सभी ऐप्स त्वरित उत्तर, वीडियो लेक्चर, असाइनमेंट बनाने में सहायता व प्रोजेक्ट आइडिया देने में मदद करते है, जिससे सीखना तेज, सरल और अधिक प्रभावी बन रहा है।
इस अवसर पर संस्थान के डॉ. के. के. शर्मा (कार्यशाला समन्वयक व डीन, बिजिनिस एडमिनिस्ट्रेशन) ने कार्यशाला की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की उन्होंने बताया कि कार्यशाला में विभिन्न संस्थानों के छात्र-छात्राएँ, शोवार्थी व शिक्षकों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन कार्यशाला के सह-समन्वयक, सुदूर खान ने किया।
इस अवसर पर डॉ. गुंजन सिंह, प्रो. (डॉ.) डी. एस. यादव, डॉ. राजीव रतन, डॉ. गोविन्द नारायन अर्चना गंगवार, डॉ. विवेक कुमार, प्रियंका अग्रवाल, मनोज चौहान, मनीष प्रसाद, डॉ. संदीप वर्मा, डॉ. मिताली चतुर्वेदी, विकास यादव, संदीप सिंह, नेहा पाराशर, डॉ. अंशिका हजेला, डॉ. रशांक जैन, रितिका अग्रवाल, सुशील चौहान, अलका चौहान, रौबिल कुमार, शैलेन्द्र कुमार, आदि उपस्थित रहे।


