डॉ एमपीएस वर्ल्ड स्कूल में कारगिल विजय दिवस बना राष्ट्रप्रेम और संकल्प का प्रतीक

आगरा।डॉ. एमपीएस वर्ल्ड स्कूल में कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में विविध देशभक्ति कार्यक्रमों का भव्य आयोजन किया गया। इन आयोजनों का मुख्य उद्देश्य छात्रों के मन में राष्ट्रप्रेम, शहीदों के प्रति श्रद्धा और भारत माता के लिए कुछ कर गुजरने की भावना को जाग्रत करना था। विद्यालय के अतुल्य भारत सांस्कृतिक सभागार में मुख्य अतिथि के रूप में मेजर जनरल (से.) प्रताप दयाल उपस्थित थे। सर्वप्रथम विद्यालय की प्रधानाचार्या राखी जैन ने उन्हें पुष्पगुच्छ और अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर कैप्टन विक्रम बत्रा के जीवन पर आधारित एक प्रभावशाली नाट्य प्रस्तुति प्रस्तुत की गई, जिसमें छात्रों ने ‘ये दिल मांगे मोर’ जैसे जोशीले संवादों के माध्यम से उनकी वीरता, साहस और बलिदान को अत्यंत प्रभावशाली ढंग से मंचित किया।
कार्यक्रमों की श्रृंखला में देशभक्ति गीतों, कविताओं, भाषण और देशभक्ति नृत्य-संगीत जैसी गतिविधियाँ शामिल रहीं। जिनमें सभी कक्षा वर्ग के विद्यार्थियों ने बढ़ चढ़कर उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रत्येक प्रस्तुति में भारत माता के प्रति समर्पण की झलक स्पष्ट रूप से दिखाई दी।
मेजर जनरल (से.) प्रताप दयाल ने कारगिल विजय दिवस के आयोजन पर कहा कि यह दिवस केवल एक सैन्य विजय नहीं है। वह तो संपूर्ण राष्ट्र की एकता, अखंडता और अडिग संकल्प का प्रतीक है। मैं डॉ. एमपीएस वर्ल्ड स्कूल के इस प्रयास की भूरी-भूरी प्रशंसा करता हूँ कि उन्होंने आज की युवा पीढ़ी को इस गौरवशाली इतिहास से जोड़ने का कार्य किया है।
विद्यालय के अध्यक्ष स्क्वाड्रन लीडर ए.के.सिंह ने अपने प्रेरक संबोधन में कहा कि मैंने स्वयं भारतीय वायु सेना की वर्दी पहनकर और उसके पूर्ण दायित्वों को निभाकर देश की सेवा की है इसलिए मैं यह कह सकता हूँ कि देशभक्ति केवल एक शब्द नहीं है। यह एक जीवन का संकल्प है, साँसों में बहता हुआ धर्म है और रक्त में उबलता हुआ कर्तव्य है। कारगिल विजय दिवस हमें याद दिलाता है कि भारत माता के लिए मरने वाले वीर कभी मरते नहीं , वे अमर हो जाते हैं। कैप्टन विक्रम बत्रा जैसे रणबांकुरे, जिन्होंने ‘यह दिल मांगे मोर’ की गर्जना करते हुए दुश्मन के दाँत खट्टे कर दिए, हमारे लिए केवल नायक नहीं बल्कि देशभक्ति के जिंदा प्रतीक हैं। देशभक्ति केवल युद्धभूमि में शत्रु से लड़ने तक सीमित नहीं है बल्कि यह तो एक साधना है। जब हम अपने देश के लिए ईमानदारी से कार्य करते हैं, उसके मान-सम्मान की रक्षा करते हैं और हर कदम पर उसकी एकता व अखंडता को प्राथमिकता देते हैं।
आज जब हमारे विद्यालय में बच्चे विक्रम बत्रा की शौर्यगाथा को प्रदर्शित कर रहे थे, तो मुझे लगा जैसे नई पीढ़ी का खून भी अब तिरंगे की गरिमा से रंगने को तैयार है। यही वह उद्देश्य है जिसके लिए हम शिक्षा के साथ-साथ राष्ट्रभक्ति का बीज भी बोते हैं। मैं अपने अनुभव से कह सकता हूँ कि देशभक्ति केवल बंदूक उठाना नहीं है बल्कि देश के लिए अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा और ईमानदारी से निभाना है ।चाहे वह सैनिक हो, छात्र हो या शिक्षक। जो देश के लिए जिए, वही सच्चा नागरिक है और जो देश के लिए मरे, वही सच्चा अमर है।
विद्यालय की प्रधानाचार्या राखी जैन ने कहा कि देशप्रेम किसी विशेष अवसर तक सीमित नहीं होता। यह तो जीवन की वह प्रेरणा है जो प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में हर दिन, हर समय और उसके हर कार्य में हमेशा झलकना चाहिए।
विद्यालय के डीन एडमिनिस्ट्रेशन चंद्रशेखर डैंग, समन्वयक योगी चाहर, डॉ नितिन जैन, रोहित कुलश्रेष्ठ, नवनीत सिंह, उज़मा आदिल, अंकित कुमार, आशीष सारस्वत, भावना जादौन, प्राची यादव सहित सभी शिक्षक उपस्थित रहे। मंच का संचालन शिक्षिका निवेदिता अग्रवाल ने किया।


