स्मृति शेष सुशील कुमार विद्यार्थी जी का 79वां जन्मदिवस श्रद्धा और संकल्प के साथ मनाया गया

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धर्म वह है जो लोकमंगल करे, अधर्म वह जो स्वार्थ को साधे”

स्मृति शेष सुशील कुमार विद्यार्थी जी का 79वां जन्मदिवस श्रद्धा और संकल्प के साथ मनाया गया

आगरा। वेदों का संदेश, ईश्वर एक है, निराकार है, न्यायकारी है। धर्म का अर्थ केवल मानवता है, न कि मत, पंथ या संप्रदाय।आर्य श्रेष्ठी स्व. सुशील कुमार विद्यार्थी जी की जयंती पर आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में वक्ताओं ने धर्म, अधर्म और ईश्वर के वैदिक स्वरूप को सामने रखते हुए वर्तमान धार्मिक विकृतियों पर गंभीर प्रश्न उठाए। सत्यार्थ प्रकाश और वेदों के आलोक में बताया गया कि धर्म के नाम पर फैल रहा दिखावा और अंधविश्वास, ईश्वर से नहीं—व्यक्ति पूजा से जुड़ा है, जो अधर्म की श्रेणी में आता है।

शुक्रवार को आर्य श्रेष्ठी स्मृति शेष श्री सुशील कुमार विद्यार्थी जी का 79वां जन्मदिवस विजय क्लब में श्रद्धा, भक्ति और सामाजिक संकल्पों के साथ मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत पर्यावरण शुद्धि हेतु वैदिक यज्ञ से हुई, जिसमें सभी ने आहुतियाँ देकर वातावरण को पवित्र किया। इसके उपरांत सभी आर्यजनों द्वारा वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया गया।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो. विजय कुमार श्रीवास्तव, प्राचार्य, आरबीएस कॉलेज आगरा ने सत्यार्थ प्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्य भूमिका सहित वैदिक ग्रंथों के आलोक में धर्म, अधर्म और ईश्वर की वैदिक व्याख्या प्रस्तुत की। उन्होंने कहा, “धर्म केवल मानवता है, बाकी सभी मत, पंथ और सम्प्रदाय हैं। मनु के अनुसार धर्म के दस लक्षण—धैर्य, क्षमा, संयम, शौच, इंद्रिय-निग्रह, सत्य, विद्या, अक्रोध, सत्कर्म, चोरी न करना—ही सच्चे धर्म हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि ईश्वर निराकार, न्यायकारी और सर्वपूज्य है। वर्तमान में धर्म के नाम पर चल रहा व्यापार अधर्म की श्रेणी में आता है, और बाबा-गुरु लोगों को ईश्वर से दूर कर रहे हैं।

 

इस अवसर पर गुरुकुल दखौला के अधिष्ठाता स्वामी विश्वानंद सरस्वती जी ने यज्ञ और परोपकार की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए लोककल्याण की भावना से कार्य करने का आह्वान किया।

कार्यक्रम के संयोजक रमाकांत सारस्वत ने स्व. सुशील कुमार विद्यार्थी के सरल, दानी, मृदुभाषी और प्रेरणादायक व्यक्तित्व को याद करते हुए कहा कि वो हर किसी का मुस्कान से स्वागत करते थे और कभी किसी को खाली हाथ नहीं लौटाते थे। उनका बहुआयामी जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा है।

इस अवसर पर विद्यार्थी परिवार के समस्त सदस्य, आगरा के प्रबुद्ध नागरिक, आर्य समाज के गणमान्य सदस्य एवं समाजसेवी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का समापन सभी ने एक स्वर में सुशील कुमार विद्यार्थी के आदर्शों पर चलने का संकल्प लेकर किया।