मैं ‘साहिर’ के शहर की रहने वाली हूँ..
लुधियाना की कवयित्री डॉ. जसप्रीत कौर फ़लक ‘साहित्य साधिका सम्मान’ से अलंकृत
आगरा। महिलाओं के लेखन को निरंतर प्रोत्साहित करने वाली संस्था साहित्य साधिका समिति द्वारा खंदारी स्थित होटल विक्रम पैलेस में लुधियाना की युवा साहित्यकार डॉ. जसप्रीत कौर फ़लक को उनके सतत-सार्थक काव्य-सृजन, साहित्य की विभिन्न विधाओं में शोध परक आलेखों व भारत की अन्य क्षेत्रीय (प्रांतीय) भाषाओं में अनुवाद-कार्य के लिए ‘साहित्य साधिका सम्मान’ प्रदान किया गया।
उल्लेखनीय कि डॉ. जसप्रीत कौर फ़लक उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी लखनऊ, कन्हैयालाल माणिक लाल मुंशी हिंदी एवं भाषा विज्ञान विद्यापीठ आगरा और तारक सेवा संस्था वाराणसी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘विश्व कल्याण में सिख धर्म का योगदान’ विषयक संगोष्ठी में विशिष्ट वक्ता के तौर पर आगरा आई हुई थीं।
‘साहित्य साधिका सम्मान’ से अभिभूत डॉ. जसप्रीत कौर फ़लक ने सभी का आभार जताते हुए अपना परिचय कुछ इस प्रकार दिया-
“फ़िक्र-ओ-फन की मैं एक नाजुक डाली हूँ,
चढ़ते सूरज की मैं पहली लाली हूँ,
मेरी ग़ज़लों में है कशिश मोहब्बत की,
मैं ‘साहिर’ के शहर की रहने वाली हूँ।”
समारोह में आरबीएस कॉलेज आगरा की पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष, प्राचार्य एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सुषमा सिंह, मासिक साहित्यिक पत्रिका ‘संस्थान संगम’ के संपादक अशोक अश्रु विद्यासागर, डॉ. सुनीता चौहान, श्रीमती मिथिलेश पाठक और नीलम रानी गुप्ता प्रमुख रूप से मौजूद रहीं। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा निराला पुरस्कार से सम्मानित कवि कुमार ललित ने कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन किया।