वरिष्ठ गांधीवादी दीना नाथ तिवारी को मिला कृष्ण चंद्र सहाय स्मृति सम्मान

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वरिष्ठ गांधीवादी दीना नाथ तिवारी को मिला कृष्ण चंद्र सहाय स्मृति सम्मान

 

*मीरापुर विधान सभा की जागरूक व निडर मतदाता तोहिदा व तनजिला को मिला कृष्ण चंद्र सहाय स्मृति लोकतंत्र रक्षक सम्मान*

 

*चुनौतियों को स्वीकार करने वाला हिम्मती व्यक्तित्व: रामजीलाल सुमन*

 

*लिबास ही पारदर्शिता बताता था: डॉ. कुसुम चतुर्वेदी*

 

*उनको अपनाना हिम्मत और आत्म बल का काम: शशि शिरोमणि*

 

आगरा। सत्ता व सम्पत्ति से दूर रहने वाले गांधीवादी कृष्ण चन्द्र सहाय की पंचम पुण्य तिथि पर यूथ हॉस्टल, संजय प्लेस पर रविवार को आयोजित समारोह में सहाय जी के गांधी विचार, चम्बल घाटी शांति मिशन, देहदान, जीवन भर अन्तिम व्यक्ति की मुक्ति को लेकर किये गये अविस्मरणीय व अतुलनीय योगदान पर बड़ी संख्या में गांधीवादी विचारकों, समर्थकों, समाजसेवियों, साहित्यकारों, रंगकर्मी, कवि व शायरों आदि ने हिस्सा लिया।

मुख्य अतिथि जननेता, राज्य सभा सांसद, सपा के राष्ट्रीय महासचिव, पूर्व केन्द्रीय मंत्री रामजी लाल सुमन सहित अतिथिगणों ने इस मौके पर गांधी विचार, आचरण, गांधी सत्याग्रह को समर्पित वरिष्ठ गांधीवादी श्री दीना नाथ तिवारी को गांधी विचार के माध्यमों से की गई उनकी आविस्मरणीय एवं अतुलनीय सेवाओं हेतु फूल माला, बुके, पटका, दुशाला, स्मृति चिन्ह, सम्मान पत्र व खादी जैकेट देकर ‘कृष्ण चंद्र सहाय स्मृति सम्मान’ से विभूषित किया।

मुज़फ्फर नगर की मीरपुर विधान सभा के हाल ही में हुए उप चुनाव में सरकार ने पुलिस को बंदूकों के साये में आगे करके जिस तरह डरा धमका कर मतदाताओं को वोट डालने से रोके जाने पर कड़ा प्रतिरोध करके अपने मत के अधिकार की रक्षा व इस्तेमाल के लिए मीरापुर विधान सभा के गाँव ककरोली के एक मतदान केंद्र पर दो महिला मतदाता तोहिदा व तन्जिला ने पुलिस बटालियन को ललकार हुए अपने मत का उपयोग करके सभी मतदाताओं को सक्रिय व जागरूक किया, अंधे चुनाव आयोग को पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड करने पर मजबूर होने से सरकार व शासन को जलालत उठानी पड़ी और मतदाता के हक़ व गौरव से लोकतंत्र का सीना गर्व से चोड़ा हुआ। गाँधी विचार की धसक व धमक देश ने देखी।

इस बेमिसाल मतदाता सत्याग्रह की वीरांगना मतदाता तोहिदा व तनजिला को सहाय स्मृति लोकतंत्र रक्षक सम्मान से नवाजते वक़्त पूरा सभागार तालियों के शोर से गूंज उठा। दुशाला,सम्मान पत्र ,स्मृति भेट सहित 11-11 हज़ार रुपयों की नकद धनराशि भी प्रदान

की गयी।

*इस अवसर पर रामजीलाल सुमन ने कहा* कि सहाय जी सबसे पहले समाजवादी नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया के सम्पर्क में आये। किसी कार्यक्रम को सम्पन्न करने जब डॉ. लोहिया सम्भवतः कानपुर प्लेटफार्म की ओर जा रहे थे, कृष्ण चन्द्र सहाय उनको भीख मांगते नजर आये। डॉ. लोहिया ने समाजवादी कार्यकर्ताओं को उसी वक्त आदेशित किया कि वह सहाय जी के रहने के बन्दोबस्त के साथ-साथ उनकी शिक्षा की भी मुक्कमल व्यवस्था करें।

हिन्दुस्तान में खासतौर पर उत्तर प्रदेश में देश की सड़ी-गली व्यवस्था के खिलाफ जब जय प्रकाश जी का आंदोलन शुरू हुआ तो उत्तर प्रदेश में महावीर भाई और सहाय जी इसके कर्ता-धर्ता थे। मेरा ये सौभाग्य है कि जय प्रकाश आन्दोलन में जिस दिन पूर्व प्रधानमंत्री, किसानों के मसीहा चौ. चरण सिंह को सत्याग्रह करना था, परस्थितिवश चौ. साहब के मना करने के बाद उसी स्थान पर मुझको सहाय जी के आदेश से सत्याग्रह करना पड़ा। हमको सत्याग्रह स्थल से ही गिरफ्तार करके राय बरेली जेल भेज दिया गया। वे निष्ठावान गांधीवादी कार्यकर्ता थे। उनके लिबास से ही हमे प्रेरणा मिलती थी। जीवन भर मूल्यों के लिए जिये। डाकुओं के हदय परिवर्तन कराने में उनका बड़ा योगदान था। मैं उनकी स्मृतियों को प्रणाम करता हूं।

वरिष्ठ गाँधीवादी शशि शिरोमणि ने कहा सहाय जी के जीवन को नापना, तोलना, जांचना, समझना आसान नही है. अपनाना तो बहुत ही हिम्मत, क्षमता शक्ति और आत्मबल का काम है.

गाँधी के सत्य,अहिंसा,सद्भाव, भाई चारा और सत्याग्रह से भारत का लोकतंत्र मजबूत होता है. लोकतंत्र की ताकत निष्पक्ष मतदान है.मतदाता लोकतंत्र का ईश्वर है.चुनावों में मतदाता की सक्रियता व भागीदारी संविधान व देश को सजाती है, संवारती है, शासन और सरकार को अपने अधिकारों के लिए झुकाने को विवश करती है।

गाँधी विचार की शक्ति से निरंतर काम करने वाले ‘श्री कृष्ण चंद्र सहाय स्मृति सम्मान’से विभूषित वरिष्ठ गाँधीवादी श्री दीनानाथ तिवारी ने अपने संदेश में कहा कि सहाय जी बड़ी से बड़ी चुनौती को सहजता से स्वीकार करने की क्षमता, हिम्मत रखने वाला व्यक्तित्व है. चाहे गोवा मुक्ति का सत्याग्रह हो, चबंल घाटी में अंहिसा का बेमिसाल प्रयोग हो, चंदनवन में चन्दन तस्कर बीरप्पन से मिलने जाने का मामला या साथियों द्वारा जीवन यापन के लिए प्राप्त सम्मान राशि को आपदाग्रस्तों को देने का निर्णय. वे जो सोचते और उसमें कूद पड़ते थे.

भयंकर सर्दी,बढ़ती उम्र और डॉक्टर का लंबी यात्रा न करने की सख्त हिदायत के कारण में चाहकर भी कार्यक्रम मे उपस्थित नहीं हो पा रहा हू, इसका मुझको मलाल है. मेरा पुत्र अशोक तिवारी कार्यक्रम में मौजूद है. में आप सबका आभारी हू, कृतज्ञा ज्ञापित करता हूं.

डॉ.अशोक शिरोमणि कहा कि उनकी वेषभूषा पहनावा अपने ही ढंग का था. सफेद खादी का बनियान रूपी जेब लगा छोटा कुर्ता, सफेद खादी की लुगी, कंधे पे खादी का थैला, साइकिल की सवारी सहाय जी की पहचान बन गई .

डॉ. कुसुम चतुर्वेदी ने कहा सहाय जी की पारदर्शिता ऐसी की हर साल अपना खाता सार्वजनिक करते. सभी का आभार व्यक्त करते, शुक्रिया अदा करते, सबकी खेर खबर लेते.

डॉ. मधु भारद्वाज ने कहा किसी के कष्ट को दूर करने में अपनी ताकत से बाहर जाकर भी हर तरह की मदद करने को सदैव तर्त्पर रहते. उनकी नजर में कोई दूसरा था ही नहीं. सभी अपने थे. उन्होंने गाँधी को पहले आत्मसात किया फ़िर समाज को संदेश दिया।

सहाय जी जीवन भर कंचन मुक्ति, बंधन मुक्ति, गोवा मुक्ति, हिंसा मुक्त समाज, साद्गी, समता, सद्भावना, सौहार्द, सांझापन, स्वलम्बन, अन्तिम व्यक्ति की मुक्ति को लेकर जीवन भर सक्रिय रहे।

महिला शांति सेना की प्रमुख वत्सला प्रभाकर ने कहा की सहाय जी बताते थे कि गांधी जी कहा करते थे कि लापरवाही अज्ञानता से भी ज्यादा घातक है, हानिकारक है.उनके जीवन में लापरवाही का कोई स्थान नहीं था।

सहाय जी की पुत्री मधु सहाय जोशी द्वारा आभार एवं हरीश ‘चिमटी’ द्वारा कार्यक्रम का संयोजन, नियोजन व संचालन किया गया।

डॉ अशोक शिरोमणि, आगरा पब्लिक स्कूल के अध्यक्ष महेश शर्मा ,बलदेव भटनागर, अमीर अहमद ,सपा नेता धर्मेंद्र यादव गुल्लु, सलीम शाह,गौरव यादव, अशफाक,राम नरेश, समाजसेवी वत्सला प्रभाकर ,बासुदेव जैसवाल, सुनील गोस्वामी, राजीव अग्रवाल,ममता पचौरी, वचन सिंह सिकरवार, शिवराज यादव , सैयद मेहमूद उज्जमा, सीमन्त साहू, कल्पना शर्मा, जी एस मनराल,आदर्श नंदन , डा. गिरजा शंकर ,दिव्या शर्मा ,नीलम शर्मा, नेहा माथुर , रोहित रावी,महेश सक्सेना, प्रतिभा स्वरूप, शैलजा,डा.असीम आनंद , नसरीन बेगम , आभा चतुर्वेदी , शंभू चौबे, शमीआगाई, नीरज स्वरूप , अश्वनी शिरोमणि, अमरीश पटेल , डाक्टर मुनीश्वर गुप्ता , डाक्टर शशि तिवारी, बिल्लो राम बाल्मिकी , राजीव अग्रवाल , डाक्टर प्रदीप श्रीवास्तव भी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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